किताब "H2SO4 एक प्रेम कहानी" को पढ़कर गाहे बगाहे कमेन्ट/कॉल तो आते ही रहते हैं. लेकिन कुछ समय पहले एक पाठक का कॉल आया, तो काफी लम्बी चर्चा हुई.
बात करके ऐसा लगा कि जैसे किताब की एक एक लाइन का बेहद निरिक्षण किया गया था.
कहानी बेहद मर्मस्पर्शी थी. साथ ही साथ ऐसे विषय पर लिखना बेहद चुनौती भरा है.
इन सबके अलावा तकनिकी गलतियों की तरफ़ भी ध्यान दिलाया गया. और व्यवहार ऐसा कि जैसे बरसों की जान पहचान. इतनी निक्पक्ष समीक्षा अब तक किसी ने नहीं की थी.
और अंत में बेहद विनम्रता के साथ जब यह पूछा कि ' क्या मैं आपकी किताब को अपनी रिसर्च में शामिल कर
लूं?'
तो मेरी हालत कैसी मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी पहली किताब किसी रिसर्च का हिस्सा बनेगी.
बात करके ऐसा लगा कि जैसे किताब की एक एक लाइन का बेहद निरिक्षण किया गया था.
कहानी बेहद मर्मस्पर्शी थी. साथ ही साथ ऐसे विषय पर लिखना बेहद चुनौती भरा है.
इन सबके अलावा तकनिकी गलतियों की तरफ़ भी ध्यान दिलाया गया. और व्यवहार ऐसा कि जैसे बरसों की जान पहचान. इतनी निक्पक्ष समीक्षा अब तक किसी ने नहीं की थी.
और अंत में बेहद विनम्रता के साथ जब यह पूछा कि ' क्या मैं आपकी किताब को अपनी रिसर्च में शामिल कर
लूं?'
तो मेरी हालत कैसी मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी पहली किताब किसी रिसर्च का हिस्सा बनेगी.