Wednesday, December 14, 2016

बचपन की यादें-01

कभी कभी मैं अपने बचपन की यादें को छत पर .., पुरानी किताबों में .. या फिर किसी पुराने फोटो में टटोलता रहता हूँ.

ऐसे ही लिखते हुए अचानक एक किताब का नाम ज़हन में आ गया. नाम ही क्या किताब का कवर पेज से लेकर आख़िरी पन्ना तक याद आ गया.

"मनमौजी मामा जी " यह किताब मुझे मेरे एक दोस्त वसीम ने स्कूल के दिनों में गिफ्ट की थी.

क्यों गिफ्ट की थी याद नहीं.., ज़रूर इसके पीछे कॉमिक्स की अदला-बदली की कोई बड़ी डील रही होगी.


वसीम तुम कुछ ज्यादह ही जल्दी चले गए इस दुनियां को अलविदा कहकर.., आखिर ऐसी भी क्या जल्दी थी.

मेरी किताबों के पन्नों में आज भी जहाँ तहां तुम्हारी यादें छुपी ढूकी मुझे मिल जाती हैं.

दिल तो चाहता है कि बहुत कुछ लिखूं तुम्हारे बारे में..,

लेकिन कुछ यादों के साथ जलने में जो मज़ा है वह हर्फो के उकेरने में नहीं आता...-तुम्हारा दोस्त.

































                                                                              http://www.jacketflap.com/profile.asp?member=IraSaxena

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