Wednesday, September 19, 2018
Doctor Rupali Tiwari
ISBN 10:- 978-93-87390-23-2
लेखक:- उस्मान खान
प्रष्ट संख्या :- 180
मूल्य:- 120
प्रकाशक:- अंजुमन प्रकाशन इलाहबाद
समीक्षक:-डॉक्टर रुपाली तिवारी.'कभी कभी ऐसा भी होता है कि बहुत सारी अच्छी किताबें हम तक नहीं पहुच पाती है।
Usman khan की किताब "H 2So4 एक प्रेम कहानी" उनमें से एक ही है।
एसिड अटैक जैसे मुद्दे को केंद्र में रख कर इतनी अच्छी नावेल रच देना आसान काम नहीं है।
अपनी ग़ज़ब की कहानी के साथ एक बेहद खूबसूरत किताब है यह। पढ़ने का शौक़ हो तो इसको बिल्कुल छोड़ना नहीं l
A book Based on Acid Attack
"जीने की जो छोटी सी ही,
एक तमन्ना जताई थी!
लुटाने को कुछ भी न था,
गंवानी पूरी खुदाई थी!"
एक तमन्ना जताई थी!
लुटाने को कुछ भी न था,
गंवानी पूरी खुदाई थी!"
उस्मान खान भाई! आपकी किताब स्टॉलों से देखते ही उठाने वाली है! कारण जिस समाज में हम रहते हैं वहां लड़की का चेहरा उसकी पहचान से ज्यादा उसकी ज़रूरत है! एसिड अटैक पर लिखी इस किताब के कवर पर जिनकी फोटो है, मैं उन्हें नहीं जानता, उस्मान भाई बेहतर बतायेंगे, मगर जीवन्तता, जीवटता और इस मुस्कान के लिये शब्द मेरे पास तो नहीं🙏 हम सब चाहे जितना भी आदर्शवादी बन लें मगर सामने से स्वीकारने में बड़े बड़े के आदर्श सूखे पत्ते हो जाते हैं! ये मुस्कान उन्हीं छद्म आदर्शवादियों के मुंह पर तमाचा है! जीने के लिये हौसला चाहिये, हिम्मत चाहिये जो इनमें असीमित है! एसिड अटैक पीड़िता को तकलीफ सिर्फ उसका दर्द नहीं देता, दर्द देता है खोखलेपन से भरे रिश्तों का मौका पड़ने पर मुकर जाना, मुंह फेर लेना! उस्मान साहब आपने बेहतरीन तरीके से रिश्ते गढ़े हैं, काबिले तारीफ!
त्याग, समर्पण, इच्छायें, समाज का दोगलापन, चरित्रों का रंग बदलना, और कई चीज़ें पठनीय बनाती हैं इस उपन्यास को! मध्यम वर्गीय परिवेश में ज़बरदस्त तानाबाना बुना है! पात्र और चरित्र बनावटी नहीं हैं बिल्कुल भी! सच कहें जुबैदा और अली की प्रेम कहानी अपने आप में बेमिसाल है, क्योंकि आपने उस समाज का चेहरा दिखाया है जो चाहते तो हैं हम कि ऐसा होना चाहिये मगर उसके लिये सिर्फ बातें ही होती हैं हमारे पास, उसका हिस्सा बन पाना सबके बस की बात नहीं!
नॉवेल बड़ा है और गल्तियां ढूँढने शायद हम किसी भी किताब में नहीं बैठते क्योंकि पाठक बनकर पढ़ना अच्छा लगता है!!
त्याग, समर्पण, इच्छायें, समाज का दोगलापन, चरित्रों का रंग बदलना, और कई चीज़ें पठनीय बनाती हैं इस उपन्यास को! मध्यम वर्गीय परिवेश में ज़बरदस्त तानाबाना बुना है! पात्र और चरित्र बनावटी नहीं हैं बिल्कुल भी! सच कहें जुबैदा और अली की प्रेम कहानी अपने आप में बेमिसाल है, क्योंकि आपने उस समाज का चेहरा दिखाया है जो चाहते तो हैं हम कि ऐसा होना चाहिये मगर उसके लिये सिर्फ बातें ही होती हैं हमारे पास, उसका हिस्सा बन पाना सबके बस की बात नहीं!
नॉवेल बड़ा है और गल्तियां ढूँढने शायद हम किसी भी किताब में नहीं बैठते क्योंकि पाठक बनकर पढ़ना अच्छा लगता है!!
साक्षात्कार- 'तुमसे किसने पूछा.'
समीक्षक फुन्नु
सिंह के सवाल –
‘तुमसे किसने पूछा’ के लेखक उस्मान खान के जवाब
01.सवाल:-किताब में
ऐसी कौन सी बात ही जिसने आपको यह संग्रह लिखने पर मजबूर किया. इसे पाठक क्यों पढ़े?
जवाब:- जैसा कि
मैंने किताब में भी कहा है, कि यह कहानियां मेरी अपनी न होकर समाज की हैं, जो समय
समय पर दोहराई जाती रहीं हैं. लेकिन अच्छी कहानी या किताब वही है जो समाज को आइना
दिखाएँ. साहित्यकार हो या लेखक, कहीं न कहीं वह समाज में व्याप्त बुराइयों के ख़िलाफ़
लड़ता रहता है. मेरी भी यही इस किताब के माध्यम से कोशिश है कि मैं समाज को कुछ
सकरात्मक देकर जाऊं. अगर आप कुछ ऐसी कहानियां पढने के शौक़ीन हैं जो हमारे आसपास
घटती हैं, लेकिन हम उन्हें नज़रंदाज़ कर देते हैं. तो यह किताब आपके लिए बेहद मुफीद
है.
02सवाल:-‘फेकुआ
हरामी’ मेरे ख़याल से आपके मन की खीज है. क्यों जिस तरह से सधी हुई शुरुआत हुई है
कहानी आगे चलकर भटक जाती है. क्या आप इस बात से सहमत हैं?
‘तुमसे किसने पूछा’
किताब को पढ़कर कई लोगों ने ‘फेकुआ हरामी’ पात्र को हमारे समाज में आस पास रहने
वाला ही किरदार बताया है. कुछ दिन पहले जानी मानी लेखिका और अनुवादक रचना भोला यामिनी जी ने भी यही बात कही. तो यह मन की
खीज नहीं, ग़रीब मुस्लिम समाज के कई घरों की सच्चाई है, जहाँ लोग इस्लाम की असल
बातों से दूर रहकर, कम इल्मी की वजह से कथिक पीर जी और मियां जी के चंगुल में
गिरफ्त हैं. बाकि कहानी भटक जाती है ऐसा तो मुझे नहीं महसूस हुआ लेकिन कई लोगों की
शिकायत रही कि कहानी अधूरी सी जान पड़ती है. जिससे मैं पूरी तरह से सहमत हूँ.
भविष्य में इसके आगे का पार्ट लिखे जाने की पूरी गुंजाईश है.
03.सवाल:- फेसबुक
पर मौजूद लेखकों में आप किसे बार बार पढ़ना चाहेंगे? क्या आप फुन्नु सिंह द्वारा
दिए गए रेटिंग से सहमत हैं?
किसी लेखक का
फेसबुक पर मौजूद होने न होने से मैं उसके लेखन का आंकलन नहीं करता. हाँ अगर आपका
इशारा नए लेखकों की तरफ है तो मैं नीलोत्पल और
रश्मि
रविशा जी को दोबारा पढ़ना चाहूँगा.
किताब का रिव्यु कई
बार हमारी पसंद नापसंद पर भी होता है. रिव्यु बहुत अधिक किताब की बिक्री को
प्रभावित नहीं करता. असल है आपका लेखन. मैं आपके रिव्यु से सहमत हूँ क्योकि यह आपके
अपने विचार है.
मैं आपको याद
दिलाऊं एक फ़िल्मी पत्रिका आती थी माधुरी जिसमे अरविन्द कुमार जी ने अगस्त 1975 में
शोले फिल्म का रिव्यु ‘सबसे घटिया फिल्म बोलकर दिया था. और उसे अब तक की सबसे
बकवास फिल्म घोषित किया था. जहाँ तक कि अमिताभ बच्चन साहब का रिव्यु में ज़िक्र तक
नहीं था. आज शोले फिल्म के बारे में मुझे कुछ कहने की ज़रुरत नहीं है.
04.सवाल:-एक लेखक
के पास दूसरों की अपेक्षा जज्बातों को समझने की क्षमता अधिक होती है. यदि आपको
यहाँ से,इसी maturity के साथ आपको उम्र के 16वें साल
में भेज दिया जाये, तो आप अपनी कौन सी भूल को सुधारना चाहेंगे और कौन सी गलती को
फिर से दोहराना चाहेंगे?
मैं अपनी
गर्लफ्रेंड से फिर से मिलना चाहूँगा. ताकि हम जीवन भर साथ रह सकते. प्यार करने की
ग़लती को दोबारा दोहराना चाहूँगा.
05.सवाल:-यदि आपको
देश का प्रधानमंत्री बना दिया जाये तो, साहित्य के लिए आपका योगदान क्या होगा?
कुछ भी नहीं. तब
मेरी प्राथमिकतायें और होंगी. जैसे जातिवाद और धार्मिक उन्माद ही देश की सबसे बड़ी
समस्या है. इनका ख़ात्मा, कानून और शिक्षा के स्तर में सुधार. यह दोनों समस्याएँ हल
हो गईं तो साहित्य अपने आप फलने फूलने लगेगा.
फिर भी सवाल आया है
तो जवब देना होगा. मैं देखता हूँ कि अक्सर किसी साहित्कार को सम्मान या तो जीवन के
अंतिम पड़ाव में मिलता है या उसके गुज़र जाने के बाद, ऐसा न होकर उसका सम्मान तब
किया जाये जब वह साहित्य में उर्जावान हो. सम्मान के नाम पर हज़ार, लाख की चिल्लर न
देकर उसकी सही आर्थिक मदद की जाये.
Monday, September 17, 2018
Cycle Magazine
पहला अंक आ चुका है !
'चकमक' की चिंगारी से बाल साहित्य को अलहदा पहचान दिलाने वाली टीम के सुशील शुक्ल ने साथियों के साथ 'प्लूटो' की यात्रा को भी शानदार बनाया। अब वे 'साइकिल' चलाने को तत्पर हैं। वे अकेले कहाँ हैं? आप हैं न 'साइकिल' के साथ?
'चकमक' की चिंगारी से बाल साहित्य को अलहदा पहचान दिलाने वाली टीम के सुशील शुक्ल ने साथियों के साथ 'प्लूटो' की यात्रा को भी शानदार बनाया। अब वे 'साइकिल' चलाने को तत्पर हैं। वे अकेले कहाँ हैं? आप हैं न 'साइकिल' के साथ?
15 सितम्बर 2018 की शाम 5 बजे बच्चों के लिए एक नई पत्रिका 'साइकिल' का विमोचन समन्वयन भवन,इंडियन कॉफी हाउस के बगल में, न्यू मार्केट,भोपाल में हो चुका है। प्लूटो की तरह यह पत्रिका तक्षशिला,बाल साहित्य एवं कला केन्द्र का प्रकाशन है।
पत्रिका के बारे में अधिक जानकारी 9109915118 पर या info@ektaraindia.in और www.ektaraindia.in से प्राप्त की जा सकती है।
पाठकों को बाल साहित्य का चस्का लगाने के के लिए अग्रिम बधाई तो बनती है !
ये Sushil Shukla और इकतारा टीम के साथ सभी के लिए यादगार दिन होगा।
Sushil Shukla , Shashi Sablok , Chandan Yadav,
ये Sushil Shukla और इकतारा टीम के साथ सभी के लिए यादगार दिन होगा।
Sushil Shukla , Shashi Sablok , Chandan Yadav,
पत्रिका के बारे में अधिक जानकारी 9109915118 पर या info@ektaraindia.in और www.ektaraindia.in से प्राप्त की जा सकती है।
मनोहर चमोली मनु जी की वाल से।
(मैंने तो इस पत्रिका की सदस्यता लेने का पूरा मन बना लिया हौ। अब आप सभी दोस्तों से गुज़ारिश है कि इस पोस्ट को ज़्यादः से ज़्यादः शेयर करें..,ताकि बच्चों की साईकल निरंतर चलती रहें.)
मनोहर चमोली मनु जी की वाल से।
(मैंने तो इस पत्रिका की सदस्यता लेने का पूरा मन बना लिया हौ। अब आप सभी दोस्तों से गुज़ारिश है कि इस पोस्ट को ज़्यादः से ज़्यादः शेयर करें..,ताकि बच्चों की साईकल निरंतर चलती रहें.)
Tumse Kisne Puchha.Book
"तुमसे किसने पूछा"https://amzn.to/2p9dLQ7
किताब :- तुमसे
किसने पूछा.
ISBN 10:- 978-93-87390-23-2
लेखक:- उस्मान खान
प्रष्ट संख्या :- 180
मूल्य:- 120
प्रकाशक:- अंजुमन
प्रकाशन इलाहबाद
समीक्षक:-पूजा रागिनी खरे
जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि इस कहानी की गठरी में जो कुछ ऐसा है जो पढ़ने वाले को सवाल भी देता है और जवाब भी। तभी तो इस संग्रह का नाम है "तुमसे किसने पूछा"
सबसे ईमानदारी इस किताब के लिए इसके लेखक महोदय की ये रही कि जब मैंने उन्हें बताया कि मैंने उनकी ये किताब आर्डर की है तो उन्होंने सीधे लफ़्ज़ों में कहा कि आपको मेरी पहली किताब मंगवानी चाहिए थी वो ज्यादा अच्छी है। उस्मान साहब की ईमानदारी के लिए उनको साधुवाद। लेखक महोदय की ईमानदारी उनकी कहानियों में नज़र आती है।
आत्म कथ्य में लेखक ने लिखा है कि मेरी कहानियाँ मेरी नही हैं, यह अनुभव की पोटली है। अगर आज का लिखा , कल रक काम आ जाए तो समझो लिखना सार्थक हो गया। ये बहुत बड़ी बात है।
"बहता पानी" में कहते है कि हर कामयाबी के पीछे एक संघर्ष भरी कहानी होती है। कामयाबी यूं ही नही आपका दरवाजा खटखटाती। सत्य वचन ।
कहानी "भूत का बच्चा"- बहुत सरल कहानी लगी। सच मे ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। इस कहानी में अंत तक
रोचकता बनी रहती है।
हाँ मेरे हिस्से का सच हमे थोड़ा कम समझ आई।
चौथी कहानी है "कृष्णा"- जो कि मुझे इस पूरे कहानी संग्रह की जान लगी। कहानी की भाषा शैली, भावनात्मक तथ्य सब बहुत लाजवाब लगा।
"समय लकड़हारा" तो ऐसी लगी कि फुआ जैसा कोई हमारे आस पास का ही है। जो अपने अकेलेपन को बच्चों के कोलाहल से तोड़ता है। ये कहानी भी बहुत अच्छी है। "दिल्ली का पानी" शायद जो समाज मे हो रहा है उसी को बताता है। गोपाल बजी आज के समय की मानसिकता को बताता है। कुम्हैडी छुआछूत पर आधारित दो दोस्तों की प्यारी सी कहानी है। हाँ फेकुआ हरामी कहानी मुझे अधूरी सी लगी। साधुओं पीरों फकीरों के ढोंग से पर्दा उठाती एक उम्दा कहानी का अंत उसके प्रारम्भ से बिल्कुल अगल लगा। शायद उस्मान साहब इस कहानी का दूसरा भाग लिखें। तब जाकर ये कहानी अपना उद्देश्य पूरा कर पाए। तुमसे किसने पूछा कहानी का प्रवाह किसी फिल्म जैसा लगा। जिसमे रहस्य से पर्दा उठने पर नायक के लिए पाठक के मन मे श्रद्धा उत्पन्न हो जाती है। पूरा कहानी संग्रह पढ़ जाना चाहिए कृष्णा की ममता , फुआ के अकेलेपन, भूत का सच, गोपाल की दोहरी मानसिकता के लिए पढ़ना चाहिए। सीधे और सरल कहानियों के लिए पढ़ना चाहिए। बाकी न पढे जाने के बहुत बहाने हैं।
मैं न तो समीक्षक हूँ न कोई लेखिका इसलिए रेटिंग करना या समीक्षा करना मेरे बस का रोग नही है। बस जो लगा पढ़कर वही लिख दिया। बाकी तुमसे किसने पूछा?
Book Review bt-Puja Ragini Khare.[Manjari]
सबसे ईमानदारी इस किताब के लिए इसके लेखक महोदय की ये रही कि जब मैंने उन्हें बताया कि मैंने उनकी ये किताब आर्डर की है तो उन्होंने सीधे लफ़्ज़ों में कहा कि आपको मेरी पहली किताब मंगवानी चाहिए थी वो ज्यादा अच्छी है। उस्मान साहब की ईमानदारी के लिए उनको साधुवाद। लेखक महोदय की ईमानदारी उनकी कहानियों में नज़र आती है।
आत्म कथ्य में लेखक ने लिखा है कि मेरी कहानियाँ मेरी नही हैं, यह अनुभव की पोटली है। अगर आज का लिखा , कल रक काम आ जाए तो समझो लिखना सार्थक हो गया। ये बहुत बड़ी बात है।
"बहता पानी" में कहते है कि हर कामयाबी के पीछे एक संघर्ष भरी कहानी होती है। कामयाबी यूं ही नही आपका दरवाजा खटखटाती। सत्य वचन ।
कहानी "भूत का बच्चा"- बहुत सरल कहानी लगी। सच मे ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। इस कहानी में अंत तक
रोचकता बनी रहती है।
हाँ मेरे हिस्से का सच हमे थोड़ा कम समझ आई।
चौथी कहानी है "कृष्णा"- जो कि मुझे इस पूरे कहानी संग्रह की जान लगी। कहानी की भाषा शैली, भावनात्मक तथ्य सब बहुत लाजवाब लगा।
"समय लकड़हारा" तो ऐसी लगी कि फुआ जैसा कोई हमारे आस पास का ही है। जो अपने अकेलेपन को बच्चों के कोलाहल से तोड़ता है। ये कहानी भी बहुत अच्छी है। "दिल्ली का पानी" शायद जो समाज मे हो रहा है उसी को बताता है। गोपाल बजी आज के समय की मानसिकता को बताता है। कुम्हैडी छुआछूत पर आधारित दो दोस्तों की प्यारी सी कहानी है। हाँ फेकुआ हरामी कहानी मुझे अधूरी सी लगी। साधुओं पीरों फकीरों के ढोंग से पर्दा उठाती एक उम्दा कहानी का अंत उसके प्रारम्भ से बिल्कुल अगल लगा। शायद उस्मान साहब इस कहानी का दूसरा भाग लिखें। तब जाकर ये कहानी अपना उद्देश्य पूरा कर पाए। तुमसे किसने पूछा कहानी का प्रवाह किसी फिल्म जैसा लगा। जिसमे रहस्य से पर्दा उठने पर नायक के लिए पाठक के मन मे श्रद्धा उत्पन्न हो जाती है। पूरा कहानी संग्रह पढ़ जाना चाहिए कृष्णा की ममता , फुआ के अकेलेपन, भूत का सच, गोपाल की दोहरी मानसिकता के लिए पढ़ना चाहिए। सीधे और सरल कहानियों के लिए पढ़ना चाहिए। बाकी न पढे जाने के बहुत बहाने हैं।
मैं न तो समीक्षक हूँ न कोई लेखिका इसलिए रेटिंग करना या समीक्षा करना मेरे बस का रोग नही है। बस जो लगा पढ़कर वही लिख दिया। बाकी तुमसे किसने पूछा?
Book Review bt-Puja Ragini Khare.[Manjari]
H2So4 ek Prem Kahani.
Book name H2So4 Ek Prem Kahani.
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
अधूरे ख्वाबों को अश्को से बहने दो
मेरे दिल के अरमान दिल में रहने दो।
उनके दामन पर दाग न लग जाये ,
मुझे हर्फ दर हर्फ झूठ कहने दो।
भीड़ में होगे बहुत मेरे जैसे ,
मुझको बस मैं ही मैं रहने दो।
आँख लगती नहीं जिनकी यादों में,
उनकी यादों को आबाद रहने दो।
साथ चलता रहा अजनबी की तरह,
अजनबी था ,अजनबी रहने दो।
#सौजन्यH2SO4एक....
ISBN 10:- 938396983
लेखक:- उस्मान खान
प्रकाशक:- अंजुमन प्रकाशन इलाहबाद
Book review by-Renu Singh.
#H2SO4एकप्रेमकहानी
एक ऐसा उपन्यास जिसमें प्रेम है, समर्पण है, सहनशीलता है, दर्द है और इन सबसे ज्यादा विश्वास है।
Usman Khan जी द्वारा रचित यह उपन्यास एक प्रेम कहानी पर आधारित हैं।एसिड अटैक जैसे कुकृत्य करने वाले मानसिक विकार से ग्रसित व समाज के कुछ कुंठित सोच रखने वालों कि कलई खोलती यह कहानी है- #जुबैदा और #अली की इनके अलावा सरे किरदारों को इतनी खूबसूरती से गढ़ा गया है कि आप खुद को इस कहानी का हिस्सा बनने से रोक नहीं पाएंगे ।
मै तो usman जी कि लेखनी की कायल हूँ । मैंने तो पढ़ी मुझे कहानी बहुत पसंद आई दुबारा रनिंग में है दोस्तों अगर आप भी पढ़ने के शौकीन हैं तो एक बार #H2SO4एकप्रेमकहानी जरूर पढ़िए । यकीन मानिये यह किताब आपको शुरू से आखिरी तक बाँधे रखेगी ।
एक ऐसा उपन्यास जिसमें प्रेम है, समर्पण है, सहनशीलता है, दर्द है और इन सबसे ज्यादा विश्वास है।
Usman Khan जी द्वारा रचित यह उपन्यास एक प्रेम कहानी पर आधारित हैं।एसिड अटैक जैसे कुकृत्य करने वाले मानसिक विकार से ग्रसित व समाज के कुछ कुंठित सोच रखने वालों कि कलई खोलती यह कहानी है- #जुबैदा और #अली की इनके अलावा सरे किरदारों को इतनी खूबसूरती से गढ़ा गया है कि आप खुद को इस कहानी का हिस्सा बनने से रोक नहीं पाएंगे ।
मै तो usman जी कि लेखनी की कायल हूँ । मैंने तो पढ़ी मुझे कहानी बहुत पसंद आई दुबारा रनिंग में है दोस्तों अगर आप भी पढ़ने के शौकीन हैं तो एक बार #H2SO4एकप्रेमकहानी जरूर पढ़िए । यकीन मानिये यह किताब आपको शुरू से आखिरी तक बाँधे रखेगी ।
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
अधूरे ख्वाबों को अश्को से बहने दो
मेरे दिल के अरमान दिल में रहने दो।
उनके दामन पर दाग न लग जाये ,
मुझे हर्फ दर हर्फ झूठ कहने दो।
भीड़ में होगे बहुत मेरे जैसे ,
मुझको बस मैं ही मैं रहने दो।
आँख लगती नहीं जिनकी यादों में,
उनकी यादों को आबाद रहने दो।
साथ चलता रहा अजनबी की तरह,
अजनबी था ,अजनबी रहने दो।
#सौजन्यH2SO4एक....
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मैं और मेरी कहानी के किरदार.
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Pandit Raghunath Murmu Born on 5th May,1905 and expired on 1st February, 1982 Pandit Raghunath Murmu is the inventor of Ol...